• क्या यूएसएआईडी ने अन्ना हजारे आंदोलन को धन दिया जिसके कारण यूपीए सरकार गिरी?

    भारत में यूएसएआईडी की भूमिका - सरकार और नागरिक समाज दोनों में- पीएम मोदी को हटाने की कोशिश करने के दावों के अलावा, राजनीतिक विवाद का कारण बनी है।

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    — गिरीश लिंगन्ना
    भारत में यूएसएआईडी की भूमिका - सरकार और नागरिक समाज दोनों में- पीएम मोदी को हटाने की कोशिश करने के दावों के अलावा, राजनीतिक विवाद का कारण बनी है। सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे पर विदेशी प्रभावों के साथ काम करने का आरोप लगाया है। दोनों दलों ने यूएसएआईडी की गतिविधियों की जांच की मांग की है।


    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यह दावा करके नई दिल्ली में खलबली मचा दी है कि भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) ने वोटर टर्नआऊट के लिए 21 मिलियन डॉलर की अमेरिकी सहायता दी थी। प्रकारान्तर से कहा गया कि उस धन का इस्तेमाल भारत के पिछले लोकसभा चुनाव 2024 को प्रभावित करने के लिए किया गया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने देश की राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप के आरोप लगाये हैं।


    ध्यान रहे कि यूएसएआईडी एक स्वायत्त अमेरिकी सरकारी एजेंसी है, जो विदेशी नागरिक सहायता और विकास सहायता के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है।
    2014 से सरकार के आलोचकों ने अक्सर दावा किया है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अल्पसंख्यकों और निचली जाति के समुदायों के लिए खतरा हैं। यह दृष्टिकोण यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससी आईआरएफ) की रिपोर्टों में भी दोहराया गया है, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे भाजपा नेताओं का भी उल्लेख किया गया है।


    यूएसएआईडी और भारत के बीच साझेदारी 1950 के दशक से चली आ रही है जब अमेरिका ने भारत के खाद्य कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए खाद्य सहायता प्रदान करना शुरू किया था। यह सहायता कई वर्षों तक जारी रही और आखिरकार 2012 में समाप्त हो गयी। 2021 तक यूएसएआईडी ने भारत के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) को वित्तपोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उसे भारतीय परिवारों के बारे में महत्वपूर्ण डेटा तक पहुंच मिली। 2011 में, भारत के चुनाव आयोग ने चुनावों के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और अपनाने के लिए यूएसएआईडी-समर्थित इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस) के साथ भागीदारी की।


    2014 सेयूएसएआईडी ने भारत के साथ कई पहलों में भागीदारी की है, जिसमें कैशलेस भुगतान को बढ़ावा देना और भारतीय रेलवे को शुद्ध-शून्य उत्सर्जन की दिशा में काम करने में मदद करना शामिल है। 2023 मेंयूएसएआईडी ने भारत को लगभग 175.71 मिलियन डॉलर का वित्तपोषण प्रदान किया। इसमें लोकतंत्र, मानवाधिकार और शासन से संबंधित कार्यक्रमों के लिए 7.43 मिलियन डॉलर शामिल थे, जैसा कि यूएसएस्पेन्डिंग द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है।


    भारत में यूएसएआईडी की भूमिका - सरकार और नागरिक समाज दोनों में- पीएम मोदी को हटाने की कोशिश करने के दावों के अलावा, राजनीतिक विवाद का कारण बनी है। सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे पर विदेशी प्रभावों के साथ काम करने का आरोप लगाया है। दोनों दलों ने यूएसएआईडी की गतिविधियों की जांच की मांग की है। ट्रम्प के बयान के एक दिन बाद गुरुवार (20 फरवरी) को कांग्रेस ने इस मुद्दे पर एक 'श्वेत पत्र' की भी मांग की।


    थिंक टैंक यूसेनस फाउंडेशन के सीईओ ने स्पुतनिक को बताया कि 15 भारतीय सरकारी एजंसियों, नागरिक समाज समूहों और थिंक टैंकों के साथ यूएसएआईडी के संबंधों ने भारत की खुली और लोकतांत्रिक प्रणाली पर विदेशी प्रभाव के संभावित जोखिम को उजागर किया है। सीईओ ने बताया कि विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकृत भारतीय संगठन विदेशी समूहों के साथ काम कर सकते हैं। हालांकि, 'हस्तक्षेप' किसे माना जाये, यह एक जटिल और व्यापक रूप से बहस का विषय है। सीईओ ने कहा, 'हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि मतदाताओं के मतदान को प्रभावित करने के लिए उन्होंने किन राजनेताओं, सामुदायिक नेताओं या मीडिया आउटलेट से संपर्क किया होगा।

    यह संभव है कि यूएसएआईडी का समर्थन प्राप्त करने वाले लोग सोशल मीडिया और आमने-सामने की बैठकों के माध्यम से भारतीय मतदाताओं तक अपना एजेंडा फैला सकते हैं।' उन्होंने भारत की नौकरशाही में छिपे विदेशी प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की और बताया कि अमेरिका में परिवार वाले अधिकारियों पर दबाव या ब्लैकमेल का खतरा हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी प्रशिक्षण प्राप्त करने से वे इस तरह के प्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। सीईओ ने सुझाव दिया कि इस बात की थोड़ी संभावना है कि डीप स्टेट और यूएसएआईडी-2014 के चुनाव से पहले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का समर्थन करके पिछली कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को गिराने में शामिल थे। थिंक टैंक प्रमुख ने सुझाव दिया कि डीप स्टेट को मोदी सरकार से वह समर्थन नहीं मिला जिसकी उसे उम्मीद थी। परिणामस्वरूप, इसने अपना दृष्टिकोण बदल दिया होगा और 2019 तथा 2024 के चुनावों में भाजपा को हटाने की दिशा में काम किया होगा।


    हालांकि, यह दावा करने वाली रिपोर्टें कि भारत को चुनावों में मतदाता मतदान को प्रभावित करने के लिए यूएसएआईडी से 21 मिलियन डॉलर मिले, झूठी साबित हुई है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस दावे की जांच की और पाया कि भारत को ऐसा कोई फंड नहीं दिया गया था। इसके बजाय, यूएसएआईडी की 'चुनाव' श्रेणी के तहत बांग्लादेश को कुल 23.6 मिलियन डॉलर आवंटित किये गये थे।


    इस तथ्य की पुष्टि इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट ने की, जिसने स्वतंत्र रूप से विवरणों की पुष्टि की। उनके निष्कर्षों के अनुसार, बांग्लादेश को दी गयी कुल राशि में से, 18.1 मिलियन डॉलर कंसोर्टियम फॉर इलेक्शन्स एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (साईपीपीएस) को प्रदान किये गये, जो एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का समर्थन करता है। शेष धनराशि चुनावी सहायता कार्यक्रमों में शामिल अन्य एजंसियों के बीच वितरित की गयी। सरल शब्दों में, यह दावा कि भारत को अपने चुनावों के लिए यूएसएआईडी से धन मिला, गलत है। वास्तविक निधि बांग्लादेश में चुनाव संबंधी पहलों के लिए निर्देशित की गयी थी, न कि भारत के लिए।

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